पत्रकारों को इस और भी सोचना होगा??

पत्रकारों को इस और भी सोचना होगा??

गिरते पत्रकारिता के स्तर को बचाने के लिये आना होगा आगे

रिपोर्ट, न्यूज़ इंडिया टुडे

बिजनौर। आज हम हिंदी पत्रकारिता दिवस मना रहे हैं यह पत्रकारिता हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है कि पत्रकारों का हर क्षेत्र में योगदान है चाहे वह देश की आजादी को दिलाने में अहम योगदान है । शासन प्रशासन और सामाजिक संगठन एवं समाज के व्यक्ति पत्रकार को समाज का दर्पण कहते हैं। इसलिए पत्रकार आजादी का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लेकिन आज वर्तमान में आजादी के चौथे स्तंभ में पत्रकारिता के क्षेत्र में समाज के दर्पण को तथाकथित पत्रकार कुछ कार्डधारक व्यक्ति पत्रकारिता की आड़ लेकर समाज के दर्पण को धुंधला करने का प्रयास कर रहे हैं यह तथ्य किसी से छुपा नहीं कि तथाकथित पत्रकार थानों में सुबह से ही देर रात्रि तक डेरा डाले रहते हैं । लेकिन आज थाने में सिपाही से लेकर इस्पेक्टर तक तथाकथित पत्रकारों की योग्यता बैकग्राउंड मुख्य कार्य कार्य की उनसे पूछताछ नहीं की जाती है इससे तथाकथित पत्रकार पुलिस एवं अधिकारियों व राजनेताओं को रिपोर्टर बताकर पत्रकारिता का रोब ग़ालिब करते हैं । इसलिए हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम सभी सम्मानित पत्रकार साथियों को मिलकर आजादी के चौथे स्तंभ की साफ-सुथरी छवि बनाए रखने के लिए ऐसे तथाकथित अशिक्षित पत्रकारों की गंभीरता से जांच शासन प्रशासन को करानी चाहिए जिससे गिरते पत्रकारिता के स्तर को समाज में बचाया जा सके।

One thought on “पत्रकारों को इस और भी सोचना होगा??

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