श्रवण कुमार,जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़,में बिठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी, वे अपने माता-पिता की सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं,ये हैं आज के श्रवण कुमार जो अपने माता-पिता को बहंगी में बैठाकर ला रहे कांवड़
श्रवण कुमार,जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़,में बिठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी, वे अपने माता-पिता की सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं,ये हैं आज के श्रवण कुमार जो अपने माता-पिता को बहंगी में बैठाकर ला रहे कांवड़
श्रवण कुमार,जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़,में बिठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी, वे अपने माता-पिता की सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं,ये हैं आज के श्रवण कुमार जो अपने माता-पिता को बहंगी में बैठाकर ला रहे कांवड़,
ब्यूरो रिपोर्ट
नहटौर। रामपुर के गांव पिपलिया मिश्र निवासी चार भाई नरेश वर्मा, प्रेम वर्मा, रमेश वर्मा व दिनेश वर्मा अपने पिता नत्थू लाल व माता नत्थो देवी को बहंगी में बैठाकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। दिनेश वर्मा ने बताया कि चारों भाइयों की योजना बनी कि माता-पिता को बहंगी में बैठाकर हरिद्वार की यात्रा कराई जाए। इस पर अमल करते हुए वे 14 जुलाई को हरिद्वार पहुंचे तथा 15 जुलाई को माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर घर के लिए चल दिए। बताया कि वे हर रोज करीब बीस किलोमीटर की यात्रा करते हैं। उसके बाद कहीं रुककर आराम करते हैं। बताया कि उन्हें शिवरात्रि से पूर्व घर पहुंचना है और हरिद्वार से लाए गए जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करना है।