पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद भावुक हुईं मोना, बोलीं- बच्चों से दूर रहकर खुद को निखारा

पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद भावुक हुईं मोना, बोलीं- बच्चों से दूर रहकर खुद को निखारा

ब्यूरो रिपोर्ट

पेरिस! पैरालंपिक 2024 के दूसरे दिन भारत ने कुल चार पदक जीते। इनमें एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य शामिल हैं। पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में 228.7 का स्कोर बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया! और भारत को कांस्य पदक दिलाया।
पेरिस पैरालंपिक में शुक्रवार का दिन पैरा शूटर मोना अग्रवाल के लिए यादगार रहा। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इस ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी सुनाई। मोना ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों से दूर रहकर खुद को निखारा!
*बच्चों से दूर रहकर खुद को निखारा*
मोना ने बताया कि उनके बच्चे वीडियो कॉल पर मासूमियत से यह समझते थे कि वह घर वापस आने का रास्ता भूल गई हैं और उन्हें वापस लौटने के लिए जीपीएस की मदद लेनी होगी। 37 वर्षीय पैरा शूटर ने कहा- जब मैं अभ्यास के लिए जाती थी तो अपने बच्चों को घर पर छोड़ना पड़ता था। इससे मेरा दिल दुखता था। मैं हर दिन उन्हें वीडियो कॉल करती थी और वे मुझसे कहते थे, ‘मम्मा आप रास्ता भूल गयी हो, जीपीएस पर लगा के वापस आ जाओ’। मैं अपने बच्चों से बात करते समय हर शाम रोती थी, फिर मैंने उन्हें सप्ताह में एक बार फोन करना शुरू कर दिया।
*2010 में छोड़ दिया था घर*
पोलियो से पीड़ित मोना ने कहा कि उन्होंने खेल में अपना करियर बनाने के लिए 2010 में घर छोड़ दिया था लेकिन 2016 तक उन्हें नहीं पता था कि पैरालंपिक जैसी प्रतियोगिताओं में उनके लिए कोई गुंजाइश है। उन्होंने कहा- मुझे 2016 से पहले पता नहीं था कि हम किसी भी खेल में भाग ले सकते हैं। जब मुझे अहसास हुआ कि मैं कर सकती हूं, तो मैंने खुद को यह समझने की कोशिश की मैं अपनी दिव्यांगता के साथ खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हूं। मैंने तीन-चार खेलों में हाथ आजमाने के बाद निशानेबाजी को चुना!

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