पापी पेट ने भुला दिया बचपन,जान जोखिम में डालकर चलना पड़ता है रस्सी पर

कड़ाके की ठंड में जहां लोग बिस्तरों में अलाव के आगे बैठे हैं वहीं नन्ही सी जान पापी पेट के लिए रस्सी पर झूल रही है

 

रिपोर्ट- न्यूज इंडिया टुडे
स्योहारा।एक तरह सरकार का खास फरमान की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ औऱ बाल श्रम पर रोक लगाओ आदि लेकिन ये स्लोगन बस कागज़ों तक सीमित हैं हक़ीक़त कुछ और ही सामने आती रहती हैं जिसके अंतर्गत न सिर्फ बेटियां अनपढ़ हैं बल्कि उनको पेट पालने के लिए बाल श्रम ही नही बल्कि जान भी जोखिम में डालनी पड़ती है,जैसे कि आप ये नज़ारा देख सकते हैं नगर स्थित रेलवे फाटकों पर आयोजित इस मजबूर बच्ची की नायाब कला का जो मात्र 6 वर्ष की अपने परिवार की है मुस्कान जो वाकई अपने नाम की तर्ज पर अपने परिवार की मुस्कान बनी है क्योंकि वो कई फिट ऊंची बंधी रस्सी पर चलकर लोगो को करतब दिखाकर अपने परिवार का लालन पोषण करने में अपनी अपनी भूमिका निभा रही है,जान जोखिम में डालकर अपनी इस अद्भुत कला से मुस्कान लोगो को ताली बजाने पर तो मजबूर कर देती है पर उसकी पढ़ाई छोड़कर ये सब करने की क्या मजबूरी है वो कोई समाजसेवी, नेता या अधिकारी नही समझता।
एक छोटी सी बातचीत के दौरान मासूम मुस्कान ने बताया कि उसको पढ़ाई का बेहद शोक है पर परिवार का कोई स्थायी ठिकाना और घर नही है खाना बदोश ज़िंदगी होने के कारण उसको पढ़ाई छोड़ कर ये काम करना पड़ता है जिससे उसका व उसके परिवार का गुजारा होता है,पर मासूम को यूं मौत की रस्सी पर चलाकर उसकी माँ को भी कोई खुशी नही मिलती बल्कि वो अपनी बेटी के हर कदम पर नज़र रखकर उसको गिरने की स्थिति में थामने को हर लम्हा तैयार रहती है।
काश सरकार या प्रशासन स्लोगन से निकलकर हक़ीक़त में ऐसी बेटियों को पढ़ाने और रोज़गार देने की कोशिश करे तो वाकई देश की तस्वीर ये नही बल्कि हसती मुस्कुराती मुस्कान जैसी होगी।

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