वाराणसी में कश्मीरी ब्रह्मणों की मुक्ति के लिए आयोजित हुआ विशेष अनुष्ठान, शामिल हुए अनुपम खेर
शुभम मौर्य ब्यूरो चन्दौली
वाराणसी। कश्मीर (Kashmir) में हुए नरसंहार (Massacre) में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की निर्मम हत्या (brutal murder) हुई। 1990 से शुरू हुए इस नरसंहार में सैकड़ो कश्मीरी पंडित मारे गए। घटना के 3 दशक बाद मोक्ष की नगरी काशी (Kashi city of salvation) में इन्ही मृत आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान (special rituals) हुआ। काशी के पिशाच मोचन तीर्थ (vampire redemption shrine) पर बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कश्मीर में मारे गए हिंदुओ की आत्मा के शांति की लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म का आयोजन हुआ। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर (actor anupam kher) सहित देश के अलग अलग राज्यों से आए विद्वान और सन्त इस विशेष अनुष्ठान के साक्षी बने। इस अनुष्ठान में उन कश्मीरी ब्राह्मणों के परिजन भी शामिल हुए जिन्होंने अपनो की जान इस हादसे में गवाई थी।सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के सयुंक्त तत्वावधान में इस विशेष अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। अनुष्ठान में संस्था के संस्थापक डॉ संतोष ओझा ने मुख्य जजमान रहे। इस अनुष्ठान का आचार्यत्व पण्डित श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु ने किया उनके साथ 11 ब्राह्मण भी इस अनुष्ठान में शामिल रहे।हुआ त्रिपिंडी श्राद्ध
श्राद्धकर्ता डॉ सन्तोष ओझा ने बताया कि कश्मीर में हुए नरसंहार न जाने कितने ऐसे परिवार थे जिनका श्राद्ध तक नहीं हुआ। सनातन धर्म के मान्यताओं के मुताबिक ऐसी अकाल मृत्यु के उपरांत मृतक आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए विशेष श्राद्ध अनिवार्य होता है। इसी के निमित शास्त्रोक्त विधि से पिचाश मोचन तीर्थ पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया गया है। बताते चले कि पूरी दुनिया में काशी ही एक मात्र ऐसी स्थान है जहां ये अनुष्ठान किया जाता है और सनातन धर्म मे ऐसी मान्यता भी है कि पिचाश मोचन पर इस अनुष्ठान से ऐसी अतृप्त आत्माओं को मुक्ति मिल जाती हैदिवंगत आत्माओं के मुक्ति का मार्ग होगा प्रशस्त
इस पूरे आयोजन में हरियाणा मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्या, ऑल इंडिया होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन नागराले और समाजसेवी अरविंद सिंह की विशेष उपस्थिति रही। सभी विशेष अतिथियों ने कश्मीर में मारे गए कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना की और उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अमित आर्या ने कहा कि कश्मीर में जो कुछ भी कश्मीरी पंडितों के साथ 1990 के दशक से हुआ ये अनुष्ठान उन्ही दिवंगत आत्माओं के शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा।