स्मार्ट कार्ड की तर्ज पर बनेंगे ई पासपोर्ट

स्मार्ट कार्ड की तर्ज पर बनेंगे ई पासपोर्ट

ई पासपोर्ट पूरी तरह सुरक्षित नहीं की जा सकती किसी प्रकार की छेड़छाड़

रिपोर्ट,जहांगीर भारती

कानपुर । भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान आईआईटी सरकार की महत्वकांक्षी ई पासपोर्ट सेवा से भी सहयोग कर रहा है राष्ट्रीय सूचना केंद्र एनआईसी के साथ मिलकर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने ई पासपोर्ट जारी करने के लिए एक बुनियादी ढांचा तैयार कर लिया है खास बात यह है कि ई पासपोर्ट के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर स्टोर सीएल तकनीक भी आईटीआई ने विकसित कर ली है आईटीआई भिलाई के निर्देशक प्रोफेसर रंजन मोना पूर्व में आईटीआई कानपुर में प्रोफेसर थे उन्होंने क्रेडिट कार्ड के आधार पर वह उसी के आकार के इलेक्ट्रॉनिक चिप पर आधारित प्लास्टिक स्मार्ट कार्ड की तकनीक विकसित की थी इस चिप में मेमोरी के साथ प्रोसेसर होता है जो टेंपो ऑपरेटिंग सिस्टम संचालित करता है इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि चिप सूचनाओं को तंग रेट भी कर सकती है चिप के अंदर के डाटा को ऑपरेटिंग सिस्टम में एक्सचेंज कंट्रोल प्रोटोकोल के माध्यम से एक्सेप्ट किया जाता है कार्ड की मेमोरी 4 केवी से 150 केबी तक होती है स्मार्ट कार्ड के अंदर का प्रोफेसर 8 या 32 बीट का प्रोफेसर होता है इसके साथ ही यह क्रिप्टोग्राफिक प्रोसेसर भी होता है यानी कई फाइलों का सिस्टम तैयार किया जाता है वर्तमान में स्मार्ट कार्ड का प्रयोग स्वास्थ्य बैंकिंग टिकट प्रणाली आदि में होता आ रहा है परिवहन अनुप्रयोगों के लिए 2002 में आईटीआई कानपुर में स्मार्ट कार्ड ऑपरेटिंग सिस्टम फॉर ट्रांसपोर्ट एप्लीकेशन इश्क रोटा को विकसित किया था इसी को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संपर्क स्मार्ट कार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है इस तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस पंजीकरण कार्ड डीएल आरसी विभिन्न आईडी कार्ड पीडीएस कार्ड आरएसबीवाई कार्ड आदि जारी होते हैं यह तकनीक आई एस ओ मानकों पर आधारित है इसीलिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं का पूरी तरह से अनुपालन करती है इसके बाद 2017 में इस कोटा सी एल तकनीक बनाई गई यही सी एल का मतलब कांटेक्ट लेंस संपर्क रहित तकनीक से है अब इसी तकनीक से ही e-passport जारी होंगे e-passport दस्तावेज को कंप्यूटर मशीन के लिए पठनीय बनाएगा जिससे पासपोर्ट ने केवल छेड़छाड़ रहित होगा बल्कि हवाई अड्डों पर त्वरित संस्करण को भी सक्षम बनाएगा इस तकनीक के तहत बायोमेट्रिक फीचर के साथ ही पासपोर्ट के लिए कवर पर एक आईसी चिप लगाई जाएगी ब्लाकचैन तकनीक पर आधारित कंप्यूटराइज डाटा में किसी भी तरह की छेड़छाड़ या बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है इसलिए इस तकनीकी को बेहद सुरक्षित माना जा रहा है वर्तमान में सभी डिजिटल करेंसी भी इसी तकनीकी पर आधारित है आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर चंद्री कर ने दिसंबर में संस्थान के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री के हाथों नेशनल ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट के तहत इन हाउस ब्लॉकचेन संचालित तकनीक के माध्यम से 1723 डिजिटल डिग्री जारी कर आई थी यह डिजिटल डिग्री विश्व स्तर पर सत्यापित की जा सकती है यही नहीं कर्नाटक के भू अभिलेखों के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के भू अभिलेखों को ब्लॉकचेन प्रणाली पर तैयार करने के लिए आईआईटी का विकराल हो चुका है कर्नाटक सरकार अपने यहां शिक्षा रिकार्डों को भी ब्लाकचैन पर लाने की तैयारी कर रही है जो देशवासियों के लिए अच्छी खबर है ।

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