हौसले से भरी उड़ान: पहनने को जूते और दौड़ने को मैदान नहीं…फिर भी 35 मेडल जीत,देहरादून के साहिब ने किया नाम रोशन,
ब्यूरो रिपोर्ट
देहरादून! पहनने को जूते और अभ्यास के लिए मैदान मुनासिब नहीं है! फिर भी देहरादून के साहिब सलमानी ने हिम्मत नहीं हारी। साहिब सुबह-शाम चार-चार घंटे का अभ्यास करते हैं। यही नतीजा है, कि साहिब ने गोला और चक्का फेंक की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 35 मेडल जीत प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है। साहिब के पिता चकराता रोड स्थित कुम्हार मंडी में हेयर कटिंग का काम करते हैं। डीबीएस में 12वीं की पढ़ाई कर रहे, साहिब ने बताया, वर्तमान में वह अपने घर से चार किलोमीटर दूर कौलागढ़ रोड स्थित केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी के मैदान में सुबह चार बजे से आठ और शाम तीन बजे से रात आठ बजे तक अभ्यास करते हैं। अभी तक राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 35 मेडल जीत चुके हैं। इन प्रतियोगिताओं में द्वितीय उत्तराखंड राज्यस्तरीय एथलेटिक्स, 19 वीं उत्तराखंड जूनियर एथलेटिक्स, राज्यस्तरीय विद्यालय एथलेटिक्स जैसे नाम शामिल हैं। बेटा अपने खेल के प्रति जुनूनी है, लेकिन सुविधाएं न होने की वजह से अकसर उसका मनोबल कमजोर हो जाता है। इसके बावजूद वह सुविधाओं के अभाव में अभ्यास करता है, और अपने गौरव के पल का इंतजार कर रहा है। साहिब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में न सिर्फ देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं! बल्कि उनका सपना हर प्रतियोगिता में तिरंगा ऊंचा भी करना है। बचपन से खेल प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले साहिब ने कहा, खेल के क्षेत्र में बहुत से खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया है। ऐसे ही साहिब भी अपने खेल के दम पर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।