नहटौर। प्रजापति समाज में इन दिनों सोशल मीडिया और गाँव-गाँव चर्चा का विषय बना है एक चुनावी पम्पलेट और चंदा वसूली की रसीद। पम्पलेट के अनुसार, 31 अगस्त 2025 को हल्दौर के एक फार्म हाउस में राष्ट्रीय प्रजापति महासभा (पंजीकृत) का जिला स्तरीय चुनाव आयोजित होने की बात कही गई है। पम्पलेट में मुख्य अतिथियों और विशेष अतिथियों के नाम भी दर्ज हैं।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर एक रसीद वायरल हो रही है, जिसमें चुनाव के लिए चंदा वसूली का जिक्र है। दिलचस्प बात यह है कि रसीद पर राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ का नाम लिखा हुआ है। पम्पलेट और रसीद में संगठनों के अलग-अलग नाम होने से समाज में सवालों का दौर तेज हो गया है।
*जिलाध्यक्ष डॉ. दक्ष का बड़ा बयान-*
इस मामले में राष्ट्रीय प्रजापति महासभा, जनपद बिजनौर के जिलाध्यक्ष डॉ. ए.के. दक्ष ने स्पष्ट बयान देते हुए कहा कि
“मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय दारा सिंह प्रजापति जी से फोन पर बात की है। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी जिला कार्यकारिणी को भंग नहीं किया गया है और न ही किसी चुनाव की घोषणा की गई है।”
डॉ. दक्ष ने आगे कहा, “यह पम्पलेट और रसीद दोनों ही संदेहास्पद हैं। पम्पलेट पर राष्ट्रीय प्रजापति महासभा लिखा है, जबकि रसीद पर राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ। यह जांच का विषय है कि चंदा किस नाम पर और किस उद्देश्य से लिया जा रहा है।”
*राष्ट्रीय अध्यक्ष का रुख-*
राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह प्रजापति ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के तहत बिजनौर जिला कार्यकारिणी को लेकर कोई नया चुनाव घोषित नहीं हुआ है। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि किसी भी भ्रम में न आएं और आधिकारिक जानकारी के लिए संगठन के घोषित माध्यमों पर ही भरोसा करें।
*समाज में उठे सवाल*
सोशल मीडिया पर वायरल पम्पलेट और रसीद ने समाज में कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—
* क्या यह चुनाव अधिकृत है या भ्रामक?
* यदि चुनाव महासभा का है, तो रसीद महासंघ के नाम से क्यों?
* चंदा वसूली की पारदर्शिता कहाँ है और जवाबदेही किसकी है?
वरिष्ठ समाजजनों ने कहा कि ऐसे भ्रामक कदमों से समाज की एकजुटता पर असर पड़ सकता है। उन्होंने संगठनों से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है।
*”सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पम्पलेट और रसीद को देखते हुए समाज में पारदर्शिता की मांग जोर पकड़ रही है। संबंधित संगठनों के राष्ट्रीय स्तर से स्थिति स्पष्ट करना अब बेहद जरूरी हो गया है, ताकि कोई भी गुमराह न हो सके।”*
