रुचिवीरा की कुर्बानी को याद किया लोगो ने
आसुओ की कीमत लोगो ने वोट देकर चुकाने का लिया संकल्प
शमीम अहमद बिजनौर
बिजनौर। याद होगा बिजनौर वासियों को जब हमारे भाइयों पर गोलियां चलाईं गई ,तो यही महिला थी इस ने उनके बदन को अपनी साड़ी से ढक लिया था,
याद होगा बिजनौर को जब मंडी आग लगवाई गई ,तो यही महिला आगे आई थी,
याद होगा बिजनौर को जब मंडावली में जब रेपी घूम रहे थे, तो इस महिला ने ही जेल भिजवा था,
याद होगा बिजनौर को बिजनौर में कर्फ़्यू जैसे हालात थे,तो यही आगे आई थी की इस्तीफा दे दूंगी पर ना इंसाफी नही होने दूंगी,
याद होगा बिजनौर को जिलापंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए बीजेपी ने ऑफर किया था, तो यही महिला थी कि बीजेपी जाने से मेरे परिवार के वसूल गिर जाएंगे में नही जाऊंगी ये रखी कुर्सी।
याद होगा बिजनौर को जब मेरे ऊपर मुकदमे दर्ज करें बीजेपी ने,तो यही महिला मेरी गिरफ्तारी पर खुल के सामने आई थी, 40 मिनट में ज़मानत दिलवाने वाली यही महिला थी,,
याद होगा बिजनौर को नगर पालिका का चुनाव
कभी इस महिला ने अपने लिए गिरे हुए शब्दों का इस्तेमाल करके अपने लिए वोट नही मांगे लेकिन शमशाद अंसारी के लिए झोली फ़ैलाकर बोली थी,कि मेरी इज़्ज़त दांव पर लगी है शमशाद अंसारी को वोट दे दो में तुम से भीख मांगती हूँ।
याद होगा बिजनौर वालों को जब कोरोना में जमातियों पर इलजाम लगे कि इन्होने कोरोना फैलाया, तब यही महिला थी ,जमातियों को अपने हाथ से शहरी, इफ्तार बनाकर भेजने वाली।।
जनपद में यही महिला है वो जो बिना चुनाव के भी 12 महीने शादियों में मौतों में दुःख तखलिफ़ में आती है,
फैसला आप के हाथ में है
,इस महिला में कोई तुम्हरे लिए अच्छाई हो तो वोट देना,, नही है तो मत देना,