*अब तो समझिए निजीकरण के नुक़सान !!*
नई दिल्ली । (जहाँगीर भारती)
यूक्रेन में 20 – 30 हज़ार भारतीय छात्र फँस गयें है और इस मुश्किल समय में इंडियन एयर लाइन ने अपना टिकट 25 हज़ार से बढ़ा कर 86 हज़ार कर दिया है । क्योंकि अब यह सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट है । बहुत हो हल्ला करने के बाद भी 56 हज़ार से कम नहीं किया है किराया ।
अब ऐसी ही समस्या समस्या पहले भी आइ थी 1990 में पर भारत ने इराक़ युद्ध के दौरान कुवैत से 1 लाख 70 हज़ार भारतीयों को निकाला था. वह भी निशुल्क. इसी एयर इंडिया ने 400+ उड़ाने भरी थीं. प्रधानमंत्री वीपी सिंह और विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल थे. सारे भारतीय निःशुल्क लाए गए थे क्योंकि तब ऐयर इंडिया सरकारी थी ।
अब इसका निजीकरण हो गया है तो मुफ़्त तो छोड़िए मुश्किल समय में किराया डबल से ज़्यादा कर दिया है आना है तो आओ नहीं तो ……!! यही है निजीकरण ॥..
यही हमने करोनाकाल के शुरुआती दौर में में भी देखा था यह सरकारी डॉक्टर और स्टाफ़ थे जिन्होंने मोर्चा सम्भाला था अधिकतर प्राइवेट डॉक्टर और अस्पताल ने अपने दरवाज़े बंद कर लिए थे, धंधा दुगने से चार गुना बढ़ा दिया था रेल और रोड ट्रांसपोर्ट के कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर थे। जब ऑक्सीजन वेंटिलिटर की कमी हुई तो भारत इलेक्ट्रिकल और उसके कर्मचारी ही थी जिन्होंने करोना काल में दिन रात एक करके रिकोर्ड वेंटीलेशन प्रोडक्शन किया और भारत को मुश्किल से बचाया ।यह वह समय था जब प्राइवेट वाले या तो नौकरी से हाथ धो चुके थे या फिर वर्क फ़्रोम होम कर रहे थे । परंतु सरकारी वाले ?? जहाँ आम लोग कोरोना से डर कर घर पर बैठे थे यही सरकारी कर्मचारी , डॉक्टर , पुलिसकर्मी,सफाई सैनिक आपकी ढाल बने हुए थे । आज आप इसी ढाल को ख़त्म करने के समर्थन में खड़े है ??
कोरोना महाकाल में रेलवे के प्रत्येक कर्मचारी ने अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्य निर्वहन का पूरा किया ओर बहुत से साथियों को खोया । लाखों यात्रियों को उनके स्थान पर पहुंचाया लेकिन जब रेलवे पूरी तरह निजी हाथों में चली जायेगी इसी प्रकार संकट कालिन परिस्तिथियों मे खूब लूट मचायेंगे इसलिए निजीकरण घातक है ।
रेलवे , एयरपोर्ट , ONGC, SBI , LIC जैसे संस्थान सोने का अंडा देने वाली मुर्गियाँ है, पर एकसाथ सारे सोने के अंडे निकालने के चक्कर में धीरे धीरे इन संस्थाओं को बेचा जा रहा है और हम ताली बजा रहे है !!
आज जिनके बच्चे यूक्रेन में फँसे है उन पर क्या गुज़र रही होगी ? क्या आप भी यही इंतज़ार कर रहे है की जब आपकी बारी आएगी तब देखा जाएगा ??
पर याद रखिए हम और आप आम जनता है भुगतान हमें ही पड़ेगा नेता और पार्टियाँ 5-10 साल रहेंगे बदल जाएँगे पर उसके परिणाम हमें जीवन भर भुगतने पड़ेंगे और आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा ।
इसलिए भविष्य प्रति जागरूक बनिए अपने नेता अपनी राजनीति पार्टी प्रेम को एक तरफ़ रखिए और गलत को ग़लत और सही को सही कहना सीखिए ,वर्ना सारा देश बेच दिया जाएगा और गुलामी पक्की समझिये ।